The Author Datta Shinde Follow Current Read यार तुणे क्या किया By Datta Shinde Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21 સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ... ખજાનો - 85 પોતાના ભાણેજ ઇબતિહાજના ખભે હાથ મૂકી તેને પ્રકૃતિ અને માનવ વચ... ભાગવત રહસ્ય - 118 ભાગવત રહસ્ય-૧૧૮ શિવજી સમાધિમાંથી જાગ્યા-પૂછે છે-દેવી,આજે બ... ગામડા નો શિયાળો કેમ છો મિત્રો મજા માં ને , હું લય ને આવી છું નવી વાર્તા કે ગ... પ્રેમતૃષ્ણા - ભાગ 9 અહી અરવિંદ ભાઈ અને પ્રિન્સિપાલ સર પોતાની વાતો કરી રહ્યા .અવન... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Datta Shinde in Hindi Love Stories Total Episodes : 2 Share यार तुणे क्या किया 1.7k 5.6k 1 ये काहाणी दो दोस्तों की हे जो एक दोसरे को समज पाते थे तो हम काहाणी शुरु करते हे ये काहाणी पुना से शुरु होती हे वाहा पे एक लडका रहेथा था उसका नाम दिपक था और उसके दोस्त का नाम आकाश था आज आकाश का रिझल्ट था और वो दसवी मे था और वो फेल हो गया था तब उसके बाबाने उसे दुकान सभालने छोड दिया तब दिपक उसके दुकान पे गया तब वो बोलता हे मुझे पता हे तुम्हारे साथ क्या होवा तब आकाश बोला दिपक तोम school जावो तब दिपक चला जाता हे तब दिपक हर रोज आकाश के दुकान पे जाने लगा तब आकाश दिपक से बोलता हे दिपक मे तुम्हारे भाई के बेहन से प्यार करता हो तब दिपक बोलता हे श्रावणी से तब आकाश बोलता हे हा तब आकाश बोलता हे तीन साल होगए हम एक दोसरे से प्यार करते हे तब दिपक बोलता हे अरे अच्छा है ना तब दिपक बोलता हे मे घर जारहा हो तब दिपक की बेहन दिपाली वो बोलती हे दिपक श्रावणी आकाश से प्यार करती है तब दिपक बोलता हे पता हे तब दिपक श्रावणी के पास जाता हे वाहा पे कुणाल और श्रावणी होते हे तब श्रावणी बोलती हे दिपक मुझे एक बात बतानी हे तब दिपक बोलता हे क्या तब श्रावणी बोलती हे मे आकाश से प्यार करती हो तब दिपक बोलता हे मुझे पता हे तब दिपक आकाश के पास जाता है तब आकाश बोलाता हे दिपक ये लो चाॅकलेट श्रावणी को देदो तब दिपक चला जाता हे तब श्रावणी बोलती हे वाव तब दिपक बोलता हे श्रावणी तोम चेहरे से प्यार मत करो तब श्रावणी बोलती हे मुझे पता हे तब श्रावणी बोलती हे दिपक आकाश को आज मिलने केलिए बोलावो तब दिपक चला जाता हे और वो बोलता हे आकाश तुम्हे श्रावणी ने उसके घर बोलया हे तब वो चला जाता हे तब दिपक बोलता हे मे नही आवोंगा तब दिपक चला जाता हे तब श्रावणी बोलती हे आकाश मुझे एक किस चाहिए तब आकाश बोलाता हे नही ए गलत हे तब श्रावणी आकाश का फोन लेती हे तब वो बोलती हे मे तुम्हे फोन नही दुंगी तब आकाश चला जाता हे तब शाम हो जाती है तब श्रावणी की मा आती है तब फोन की घंटी बजती हे तब श्रावणी की मा बोलती हे तुम्हारे पास तो फोन नही हे तो कहा से बजा तब श्रावणी बोलती हे आपका ही बजा तब श्रावणी की मा बोलती हे मेने अपना फोन आज ही बेच दिया है तब उसे फोन दिखता हे तब उसमे आकाश का फोटो था तब श्रावणी की मा श्रावणी को बोहत मारती हे और दिपक को बोलाती हे और वो बोलती हे दिपक ये लो फोन और आकाश को देदो तब दिपक चला जाता हे तब वो श्रावणी के पास जाता है तब श्रावणी की मा बोलती हे दिपक चलो मेरे साथ तब वो बोलती हे दिपक श्रावणी क्या करती है मुझे सब बताते रहेना तुझे अपने मा की कसम हे तब दोसरे दिन आकाश फिरसे आणे लगा तब श्रावणी बोलती हे आकाश आजसे हम नहीं मिलेंगे तब आकाश बोलता हे मुझे एक किस चाहिए तब वाहा पे दिपक आता हे तब श्रावणी बोलती हे आकाश फिरसे आना तब दिपक बोलता हे श्रावणी बस होगया तब श्रावणी चली जाती है तब वाहा पे दिपाली आती है और वो बोलती हे दिपक तोम इन दोनो के बिच मे मत पडो तब वाहा पे आकाश कि बेहन मानसी आती है और वो बोलती हे दिपक मुझे सबकोछ बतावो तब दिपक सब बता देता हे तब दोसरे दिन आकाश श्रावणी के पास जाता है और उसे गुलाब देता हे तब श्रावणी बोलती हे Thank you तब आकाश बोलता हे मुझे किस चाहिए तब हर रोज आकाश श्रावणी को कोछ ना कोछ तो देता रहेता था तब दिपक श्रावणी के मा के पास जाता है और उन्हे सब बता देता हे तब वो बोलती हे तोम उन दोनो पर नजर रखना दोसरी तरफ आकाश श्रावणी और दिपक को खाने किलिए ले जाता है तब दिपक बोलता हे मे जारहा हो तब वो श्रावणी के मा के पास जाता है और उसे सब बता देता हे तब श्रावणी की मा श्रावणी को बोहत मारती हे और वो बोलती हे मुझे सब पता चल गया है तुम्हारा और आकाश के बिच मे कोछ तो हे दोसरे दिन आकाश श्रावणी को बोलता हे श्रावणी क्या होवा तब श्रावणी बोलती हे आजसे मुझे मत मिलना तब वो चली जाती है तब दिपक आता हे और वो बोलता हे आकाश उसे उसके मा ने बोहत मारा तब आकाश बोलता हे कल गणपती आणे वाले है तब आकाश के घर गणपती आते है तब आकाश बोलता हे आज जोभी अच्छा नाचेगा उसे इनाम मिलेगा तब पहेले दिपक जाता है तब वो नाचता हे बादमे श्रावणी नाचती हे इस तरहसे सबका डान्स हो जाता है तब आकाश बोलता हे आजका विनर हे श्रावणी तब मानसी बोलती हे बोहत होवा तब दिपाली बोलती हे मानसी चोप रहो इनका भांडा फोटने वाला है बोहत जलदी दोसरे दिन गणपती चले जाते हे तब श्रावणी दिपक को बोलती हे दिपाली कहा हे तब दिपाली बोलती हे क्या होवा तब वो बोलती हे मुझे तुमसे एक बात बतानी हे तब दिपाली बोलती हे कोनसी तब श्रावणी बोलती हे मे आकाश से प्यार करती हो तब दिपाली बोलती हे अच्छा है तब श्रावणी मानसी के पास जाती है और वो बोलती हे मानसी मे और आकाश प्यार करते हे तब दिपक श्रावणी के मा के पास जाता है और उन्हे सब बता देता हे तब श्रावणी की मा श्रावणी को बोहत मारती हे तब श्रावणी बोलती हे दिपक आकाश को बतावो break up तब दिपक चला जाता हे तब वो बताता हे आकाश श्रावणी ने बताया हे break up तब आकाश श्रावणी के पास जाता है और वो बोलता हे श्रावणी तुमणे मुझसे break up कर लिया हे तब श्रावणी बोलती हे नही तब आकाश दिपक के पास जाता है और वो बोलता हे दिपक श्रावणी मुझसे अलग होना नही चाहती तब दिपक बोलता हे बोहत होवा लेकिन तुम्हे उससे अलग होना होगा तब आकाश बोलता हे नही तब दिपक बोलता हे आज के बाद तोम मुझसे बोलना मत तब दिपक श्रावणी के मा के पास जाता है और उन्हे सब बता देता हे तब श्रावणी की मा मानसी को फोन लगाती हे और वो बोलती हे आकाश को इधर भेजो तब आकाश आता हे तब श्रावणी की मा बोलती हे आकाश तोम दिपक पे इलजाम डाल रहे हो तब आकाश बोलता हे हा और इसने आपके मन मे आग लगाइ हे तब दिपक बोलता हे मेने नहीं बताया तब आकाश बोलता हे इतने दिन से तोमने मेरे पैसे लिए हे और तोमणे मुझे क्या बोला श्रावणी को पिझ्झा खाना हे तब श्रावणी की मा बोलती हे दिपक ये सच है तब दिपक बोलता हे ये सब झोठ हे तब दिपक चला जाता है तब श्रावणी की मा बोलती हे आजके बाद तोम मेरे बेटी से मिला तो तेरे पापा को बताउगी तब आकाश चला जाता है दो महिने बाद दिपक को समज आता हे ये सब श्रावणी ने किया है तब वो बोलता हे मेने अपने दोस्त को खो दिया है .तो इस तरहसे दिपक को समज आया आकाश गलत नही हे बल की उसकी बेहन श्रावणी हे तो अब हम अगले अध्याय मे देखेगे आगे क्या होता है. The End › Next Chapter यार तुणे क्या किया - 2 - अंतिम भाग Download Our App